इसको लेकर के सभी जो विभागाध्यक्ष हैं, कमिश्नर हैं, डीएमओ हैं, उनको चिट्ठी लिखी गई है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक बड़ी यह पहल की है। हालांकि यूडीआई ने सरकार को चिट्ठी लिखी थी और कहा था कि जब आधार कार्ड बनता है तो उसमें जन प्रमाण पत्र उस तरीके की चीजें नहीं लगती है। इसलिए इसको मान्य अब सरकार ने निर्णय लिया है कि माना नहीं जाएगा।
यह एक बड़ा निर्णय लिया है। भविष्य में किसी भी भर्ती, प्रमोशन, पेंशन या अन्य सरकारी कार्यों में जन्मतिथि सत्यापन के लिए आधार कार्ड को बै दस्तावेज नहीं माना जाएगा।
यानी माना क्या जाएगा?
हाई स्कूल की मार्कशीट उसमें जो डेट ऑफ़ बर्थ होगी, वह वास्तविक जन्मतिथि साख के तौर पे वही मानी जाएगी। इसके अलावा जब जन्म होता है, हॉस्पिटल में होता है, तो हॉस्पिटल में जो कागजात मिलते हैं, वह जन्म प्रमाण पत्र माना जाएगा। गांव में ग्राम पंचायत सचिव सेक्रेटरी तहसील से बनता है। जबकि शहर या नगर पंचायत में लखनऊ जैसे शहर या गाजियाबाद, आगरा, कानपुर, गोरखपुर, बनारस जैसे शहरों में नगर निगम है तो उसके तहत जो नगर निगम कार्यालय से बनेगा वह होगा। और अगर हॉस्पिटल में जन्म होता है तो फिर वहां का माना जाएगा। घर पे होता है तो ग्राम पंचायत जो अधिकारी होता है या पार्षद शहरों में होता है उसकी रिपोर्ट के आधार पे बनेगा। वह मान्य होगा।
इसके अलावा कुछ और विकल्प है जैसे बहुत सारी जगह पासपोर्ट को माना जाता है।कि पासपोर्ट में अगर दो जैसे डेट ऑफ बर्थ अगर दो ऐसे साक्ष्य लगते हैं जिसमें सारे नाम आपका डेट ऑफ़ बर्थ सारी चीजें एक हो तो उसको कई राज्यों में माना जाता है। लेकिन उत्तर प्रदेश में ये चीजें स्पष्ट नहीं है। लेकिन अब इतना तय है कि उत्तर प्रदेश में आधार कार्ड को बैध जन्म तिथि के लिए नहीं माना जाएगा।
उत्तर प्रदेश में हजारों लोगों की लाइन रोज आईडीआई की ऑफिस या सेंटर पर लग जाती थी। डेट ऑफ बर्थ करेक्शन के लिए या नाम करेक्शन के लिए। सबसे ज्यादा दिक्कत डेट ऑफ बर्थ को लेकर के होती थी। क्योंकि जिलों में एक बार होती थी। उसके बाद उनको लखनऊ जो क्षेत्रीय ऑफिस है जिसको रीजनल ऑफिस कहते हैं वहां आना पड़ता था। लंबी-लंबी लाइनें होती थी और डेट ऑफ़ बर्थ चेंज करने के लिए बहुत कम ऑप्शन थे। तो बहुत सारी गड़बड़ियां थी। बहुत सारे आरोप भी आ रहे थे। हाई स्कूल मार्कशीट में या मार्कशीट में कुछ और डेट ऑफ़ बर्थ होती थी। आधार में कुछ और होता था और आधार कई जगह मान लिया जाता था जिसको लेकर के कई जगह विवाद की खबरें भी आती थी।
फिलहाल यूडी ने सभी राज्यों के और केंद्र शासित प्रदेशों को इस संबंध में दिशा निर्देश जारी करते हुए आधार को सिर्फ पहचान और पता प्रमाण पत्र के रूप में स्थाप इस्तेमाल करने के लिए कहा गया था।
अब सवाल यह है कि फिर दस्तावेज कौन से मान्य होंगे?
सरकार ने स्पष्ट किया है कि जन्मतिथि के लिए अब हाई स्कूल या उसके समकक्ष अगर हाई स्कूल या संस्कृत बोर्ड की जो मार्कशीट है हाई स्कूल के लेवल या फिर मदरसा बोर्ड की है वो मान्य होगी। इसके अलावा नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत, ग्राम पंचायत द्वारा जन प्रमाण पत्र मान्य होगा। पासपोर्ट सरकारी कर्मचारियों के लिए सेवा पुस्तिका, दस्तावेज ही मान्य होंगे।
वह भी एक कागजात या साख के रूप में आप प्रस्तुत कर सकते हो क्योंकि जब नौकरी करेंगे तो जाहिर सी बात है आपकी जो सेवा नियमावली या प्रमाण पत्र होंगे वो हाई स्कूल के अनुसार ही बनेंगे और जब आपका पासपोर्ट बनेगा उसमें भी डेट ऑफ़ बर्थ लगती है। हाई स्कूल का सर्टिफिकेट माना जाता है।
तो इस नाते कुछ राज्यों को जो छोड़ दिया जाए तो अधिकतर राज्य जो है वहां पे पासपोर्ट भी माना जाता है।
अब कर्मचारियों की जो नई भर्ती होगी इस पे बड़ा असर होगा। हालांकि प्राइमरी स्तर पे जो विद्यालय है या फिर जूनियर या इंटर है वहां छात्रवृत्ति के लिए बच्चों को आधार ही सब कुछ माना जाता था।
एक तरफ आधार के लिए सरकार जोर दे रही है।
लेकिन आधार को देखा जाए तो ना आप निर्वाचन नियमावली में आधार के आधार पे शामिल हो सकते हैं। ना आपका नागरिकता प्रमाण पत्र माना जाता है।
अब डेट ऑफ़ बर्थ भी नहीं माना जाएगा।
यानी फिर आधार किस लिए?
सिर्फ पते के लिए। पता में भी आपको बहुत सारे ऑप्शन हैं। तो इसको लेकर के एक बड़ी कन्फ्यूजन की स्थिति है वह दिख रही है क्योंकि आधार एक तरफ सरकार कंपलसरी करती है। दूसरी तरफ किसी भी साक्ष्य में देखा जाए तो अधिकतर साक्ष्य में जो महत्वपूर्ण है उसमें नहीं माना जाता है।
फिलहाल देखना यह होगा कि क्या सरकार जो निर्णय लागू किए कोई और ऑप्शन डेट ऑफ़ बर्थ के लिए आधार की जगह लाएगी क्या जो पहले से था आधार को छोड़कर वह रहेगा।
इसको लेकर के कांग्रेस के जो नेता हैं दीपक सिंह ने उन्होंने बड़ा सवाल उठाया है। कहा इसके चक्कर में अब एसडीएम की कोर्ट में चक्कर लगाना पड़ेगा, मुकदमा करना पड़ेगा और बहुत लंबी प्रक्रिया होगी। भारत जैसे देश में या उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में यह स्थिति विकराल रूप धारण कर सकती है। लोगों को बहुत दिक्कत होगी। इसको लेकर के उन्होंने सरकार पे निशाना भी साधा है।

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